मैं कवियत्री हूँ प्रेम की,
मुझे जीवन भर बस प्रीत चाहिए !
जो रह जाय थोड़ा बहुत सा,
तो मुझे मेरी मृत्यु प्रेममयी चाहिए !
कि दम टूटे जब मेरा,
अंतिम साँस पिया की बाहों में चाहिए !
सुर्ख लाल सजे अर्थी मेरी,
मुझे मेरी मौत सुहागन वाली चाहिए !
रह जाय जो कुछ और बचा,
तो मेरे दाह संस्कार के बाद !
मुझे मेरी अस्तित्व की राख,
विसर्जित प्रेम घाट बनारस में चाहिए !!-
6 JUL 2021 AT 16:02
16 MAY 2021 AT 10:53
मैं कलकल बहती,
गंगा सी,
तुम घाट बनारस,
हो जाओ!!
अनुशीर्षक में पढ़े!
कृपया बिना पढ़े,
कमेंट न करें!!
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12 JAN 2022 AT 21:45
मैं उस बेवफ़ा की शादी में तब तक नाचूँगी,
जब तक ये दिल और पायल टूट ना जाए|
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9 MAR 2021 AT 21:09
सुनो,
आ कर गले से एक बार लगा जाओ न,
कि मेरी शायरियों से इश्क़ गुम हो रहा है!!-
5 NOV 2021 AT 11:02
शायरी पहचान छोड़ जाती हैं,
लोग मुझे पारुल शायरा के नाम से याद करेंगे|-
7 DEC 2021 AT 14:53
मुकम्मल गर हासिल हो तो रूठ कर जाऊंगा कहा ?
पल भर को रूठा भी तो, उम्र भर रह पाऊंगा क्या ?-
5 JUL 2021 AT 17:08
न मैं पूज्य हूँ,
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न ही मैं किसी के,
चरणों की धूल हूँ !
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मैं मात्र स्त्री हूँ !!-