बेच दिया मैने अपना सारा सामान, उसे खरीदने के लिए
एक कलम ही बची थी, वो भी अब गिरवी हो गई ।-
मेरे तुम कुछ युँ हो जाओ,
बेमौसम सी बरसात हो जाओ,
मैं बन धरा तुझे महसूस कर पाऊँ,
बेमतलब सा और बेहतर प्यार तुझे कर पाऊँ।-
किस तरीके से मनाऊँ मैं तुम्हें जान,
हर तरीका तूझे नाराज करता है।-
जो मिले ,जब मिले ,जैसा मिले, कोशिश करो शिकायत ना करो
हर चीज़ अपने हिसाब से ना हो तो बवाल ना करो।-
खरीदना होता पल में अगर ,तो दोलत से खरीदती
अहसास से पाने के लिए,यूँ बहसो नहीं रूकती।
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उसका पायल पहनकर मेरी राह से गुजरना,
निगाहो को झुका चोरी से मुझे निहारना,
बिन कहें ही यूँ बंद लबों से सब बयाँ करना,
सबूत देता है मुझे, उन्हें महोबत सिर्फ हम से ही है।-
जब लगे सब बुरा तुम्हारे साथ ही होता हैं,
तब उस मासुम को याद जरूर करना,
जिसे रोज रोटी भी नसीब नहीं होती।-
लिखूँ क्या आज समझ नहीं आता,
पिरोया कैसे जाए समझ नहीं आता,
बहुत मुश्किल हो रहा है लिखना आज,
अल्फाजो को मनाया कैसे जाए समझ नहीं आता।
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कमाल का शख्स हैं वो,
जो आँखो से प्यार कर,नजरों से दिल चुराता हैं
अगर ना दिखूँ मैं उसे राहों में कहीं ,
तब वह प्यार कि धुन से मुझे निहारता हैं।-