ये यौवन तेरे मटके से
नाभि गहरी खाई सी
वो जांघों के बीच की खूबसूरती
हल्की भीगी हुई उंगलियों को फेरता हूं मैं
तुम पर चढ़ते है रंग मैं डालता हूं लिंग फिर
मन होता है मिल कर संगम-
20 APR 2022 AT 9:28
ये यौवन तेरे मटके से
नाभि गहरी खाई सी
वो जांघों के बीच की खूबसूरती
हल्की भीगी हुई उंगलियों को फेरता हूं मैं
तुम पर चढ़ते है रंग मैं डालता हूं लिंग फिर
मन होता है मिल कर संगम-