तुम क्या सिखाओगे मुझे, प्यार करने का सलीक़ा
मैंने 'माँ' के एक हाथ से थप्पड़, दूसरे से रोटी खाई है
- साकेत गर्ग-
पिताजी पर लिख पाऊँ, ऐसे अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ
मेरी जेब तो आज भी, उनके दिये सिक्कों से भरती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
ढूँढ रहा था अलमारी में,
500 और 1000 के नोट।
मिल गयी तेरी फ़ोटो,
और लग गयी दिल को चोट।
- साकेत गर्ग-
पूरी एक उम्र लगती है मियाँ
किसी से बे-हद, बे-पनाह, बे-ग़रज़
शिद्दत भरी मोहब्बत होने में
और तुम कहते हो
मोहब्बत तो बस यूँ ही
एक नज़र में ही हो जाती है
- साकेत गर्ग 'सागा'-
साजन-साजन है तिलिस्म, साजन-साजन है सच
साजन कभी कहीं है ही नहीं, साजन ही है एक बस
- साकेत गर्ग 'सागा'-
Dear Self,
Stop being romantic.
It isn't worth the trouble.
She is heartless.
You're hopeless.
Yours hopefully,-
मत करो इतना ग़ुरूर अपने हुस्न पर
यूँ ही इतनी हसीन नहीं हो तुम
इन सफ़ेद सफ़्हों पर
जो नीली सफ़ें है
उन नीली सफ़ों के बीच
गुलाबी स्याही से
अपनी नज़्मों में
हर्फ़-दर-हर्फ़
'मैंने' उकेरा है तुम्हें
- साकेत गर्ग 'सागा'-
कहने को हूँ मैं शायर आला दर्जे का पर
ख़ुद की लिखी एक नज़्म तक नहीं याद है
एक वो है मुझे पढ़ने वाली 'क़ारी' जिसे
मेरी हर नज़्म का हर हर्फ़ बा-ज़बान याद है
मैं इश्क़ लिखता हूँ सफ़ेद सफ़हे पर बस
उसकी रूह के तो हर ज़र्रे में इश्क़ आबाद है
- साकेत गर्ग 'सागा'-