QUOTES ON #RSSB

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16 OCT 2021 AT 9:32

Pen sketch by me ✍🏼

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5 DEC 2021 AT 11:00

मैं जिस भी हाल मैं रहूं
बस तेरे हि ख्याल मैं रहूं
तूने की थाम रखा है मुझे
मैं इस ख्याल के मलाल मैं रहूं...!

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27 FEB 2021 AT 0:21

चलिए आज हम रुहानी दौर पढ़ते हैं।
जहां गुरु रविदास कदम रखते हैं।
उनके पावन चरण कमलों से,
आज ये दुनिया सबकी लाज रखते हैं।

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15 JAN 2020 AT 17:56

A letter to my favorite place
//BEAS\\

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2 JUL 2020 AT 14:59

सतगुरु जी म्हारो थे ही सहारो
और कियां बखाण करू आभार में थारो
नी चावें मने रुपया री गाडियां मोटी मोटी
थारी दृष्टि रखीजे बस आ ही आस छोटी
ओ मन अठे बड़ा बड़ा सा जाल है सजावे
सिधो पड़ जावे जियान ही तू नाम दे जावे
अंदरुनी दर्शन कर ने ओ सतगुरू जी थारो
जन्मा जन्मा रा म्हारा सारा पाप है तर जावे
दीयो शब्द थारो म्हारी आ रूह ढूंढ ले आवे
सतगुरु जी म्हारो थे ही सहारो
जद सु हाथ पकड़अर चल दिया हो थे म्हारो

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1 JUL 2020 AT 17:51

जिस शक्ति ने तुझे बनाया तू उसे भूलकर
उसके ही बनाए खिलौनों कों पूजता है
सच में इंसान तू तो पागल है जो उस हीरे की
चमक को इस सोने की परत में ढूंढ़ता है
मन मेला पड़ा है तेरा करोड़ों जन्मों जन्मों से
फिर भी तू कहता मेरा रब मेरे मन रहता है
अगर ऐसा होता तू मंदिर के चक्कर न लगाता
मन के अंदर ही उस रब के दर्शन करके आ जाता
बात कड़वी लगेगी अच्छी तरह जानता हूं में
समझाए अगर कोई तो तू क्यों समझता नहीं
बतलाए अगर कोई तो तू क्यों उसे सुनता नहीं
मन की भक्ति में लीन रहता है क्यों प्यारे
झांक एक बार आंखों पर पड़े पर्दे के पीछे
तेरे हरी खुद इंतजार में बैठे है तेरे लिए यारे
में ये नहीं कहता कि तू गलत है
में ये नहीं कहता कि तू पापी है
तू तो मन का गुलाम है जो ये कहेगा से तू करेगा
लेकिन अगर तू यूही अपने मन की हरदम सुनेगा
तो तेरी उस बिछुड़ी हुई रूह से फिर कब मिलेगा
जो तेरी ही अंश है तू बूंद है उस समन्दर की
वो शक्ति एक समन्दर है और तू उसकी बूंद
क्यों अकेले तड़पता है जाकर मिल जा उसी में
और बना जा उसी सागर की मधुर सी धुन

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30 JUN 2020 AT 16:54

दर्शन ने तरस गई अंखियां ओ रबजी मेरे
कद खुलेंगे दरबार ओ सतगुरू जी तेरे
अब हाल के बताऊं तेनु ओ रब जी मेरे
मन का पंछी भटके लगावे है घोते गेहरे
न तड़पाओ जी बुला लो जी सतगुरू डेरे

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12 JUL 2020 AT 11:43

मैं धरतीं पर स्वर्ग लिखूँ
तुम ब्यास समझ लेना..!

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26 APR 2021 AT 10:23

सतगुरु
रखिए ना सतगुरु हमसे बैर,दीजो मोही सरन
मन मैला है सतगुरु मोरा, चरनन मे दीजो सरन।।

सतगुरु में तेरा दास,मोहि पर करिये कृपा निधान
नामदान दे दो मोहि सतगुरु,निसदिन करूँ मै जपन।।

ईर्ष्या गयी ना मेरे मन से,सतगुरू करिए विधान
तेरे दर्शन को नैना प्यासे,करियो कुछ प्रधान।।

करत है निस दिन हम,सिमरन तेरा
हाथ पकड़ लो तुम सतगुरु मेरा।।

तुम बिन हम अधूरे सतगुरु,निस दिन करूँ तेरी टेक
सतगुरु की तेरी लीला प्यारी,जस दिन लगाऊँ टेक।।

बहुत दिन हुए,हमें डेरा आये
अब तो बुलाओ सतगुरु हम, सेवा करने डेरा आये।।

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5 NOV 2020 AT 22:08

हीरा मोती ज्ञान सागर
तेरे अन्दर है बैठे
क्यों पागल सा तू बाहर है खोजे
एक बार तो झांक
ये तुझको हर पहर पुकारते है रहते
तू ही अनसुना कर चल देता है
मगर तेरी अंदरूनी धुने
हमेशा तुझे आवाजें है देते

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