फेंक रहे जो तुम खाना क्योंकि
आज रोटी थोड़ी सूखी है
थोड़ी इज्जत से फेंकना साहेब
मेरी बेटी कल से भूखी है-
अखबार में देश के हालात को पढ़ ठेस बहुत पहुंची साहब,,,,,
गरीब को उसी अखबार पर रोटी मिली तो खुश हो गया....!!!!!-
गर्म रोटी खाये निकम्मा
जो ना बिस्तर छोड़े
मेहनत कर जो आये घर को
सुखी रोटी तोड़े।-
लोग मां बेचकर मौसी ख़रीद रहे हैं,
पेड़ काटकर छांव ढूंढ रहे हैं।
जंगल उजाड़कर A/C ख़रीद रहे हैं,
प्रदूषण फैलाकर हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं।
दूध - लस्सी छोड़ कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं,
रोटी छोड़ पिज़्ज़ा खा रहे हैं।
आग लगा कर पानी ढूंढ रहे हैं,
गांव छोड़कर शहर बसा रहे हैं।।
-
एक रोटी के टुकड़े का ये इंतज़ार करते है
ये भूख है ज़नाब अमीर गरीब नहीं देखते है
========================
रोटी थोड़ी जल क्या गयी उसे फेंक देते है
कोई जली रोटी से भी भूख मिटा लेते है
किसी के पास वक़्त ही नहीं खाने के लिए
तो कोई पेट के लिए भीख भी मांग लेते है
भूख की तड़प कभी देख लेना चौराहे पर
कूड़े से भी भूखे, रोटी तलाश कर लेते है
अपनी भूख के आगे जो हो जाते है लाचार
रोटी ताज़ी हो या बासी वो पेट भर लेते है-
हाय! ये रोटियां
गर मिल गयीं तो भाग्य
बनाती हैं ये रोटियां
कभी अनेकों की क्षुधा
शांत कराती हैं ये रोटियां
ये रोटियां
अपनों को अपनों से दूर
कराती हैं ये रोटियां
गांव की मिट्टी से शहर की भीड़
तक ले जाती
ये रोटियां
भाइयों के प्रेम में फासला
बढ़ाती हैं ये रोटियां
घर का बंटवारा
करवाती है ये रोटियां
ये रोटियां
हाय! ये रोटियां-
लक्ष्मी जी से बस एक ही प्राथना है ,
धन बरसे या ना बरसे पर
कभी कोई रोटी को ना तरसे ।
" हिमांशु बंजारे "-
चेहरा बता रहा था उसका वो गरीब रात भर रोया हैं
शायद कल रात भी उसके बच्चे ने कुछ खाया नहीं होगा
हे माँ.....
तुझसे बस इतनी सी प्रार्थना हैं की किसी गरीब के पेट में भुख और आँखों में आँसु लेकर मत सोने देना...!!!🙏🙏🙏-
जिस्म रोता है पर रूह नहीं रोती😢😢😢
उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती😢😢😢-