वो चौराहे की चाय, वो गलियों की गपशप,
वो दोस्तों के साथ धूप भी छाँव लगती थी,
वो धूप में खेलना पसीने से भीगे हुए,
वो घास में कबड्डी खेल के स्कूल शर्ट बर्बाद करना,
वो नीम के पेड़ की छाँव में चोट का बहाना
बना के बैठना,
ना नौकरी की चिंता, ना पैसे कमाने की चिंता,
एक सुनहरा सा बचपन बड़े बड़े सपनों से
भरा हुआ ।। ❣️❣️
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