Dear Diary,
Its her childhood video, that's concerning me. We were out at a traditional Indian restaurant ; she was eager for a north Indian course. Her impatient palms smacked the table few times to stun the bewildered waiters who were slow to deliver. She dug in as soon as the plate popped in. I had to tear the wheat chapati to several crumbs for her as she dipped them into the curries around. Her scurried actions were noticed by many elders passing our table. Her roly-poly cheeks, tiny chin and a small part of her nose was pasted with all the curries she had dropped off into her mouth. She was 6 but she consumed all of the food before the 20 year olds there. I lost that video in the 15 years that have rolled by. When we have a fight I used to replay the video and cheer up. After finishing her food that day, she had made a chirpy noise, I think it was a burp, and I'd give everything to listen to it again. Please.-
ये लड़की ना, मुझ पर, बहुत ज़ुल्म ढहाती है
जो कभी मेरे साथ रेस्टोरेंट चली जाती है
इस बेचारे ग़रीब की शामत आ जाती है
'मैं कुछ नहीं खाऊँगी' कहने वाली
मेरे हिस्से का भी चट कर जाती है
असली वाट तो अगले दिन लगती है
जब वो एक बार फ़िर से मिलती है
'मैं मोटी हो गयी ना, बताओ ना'
पहला सवाल ही यही करती है
मैं 'नहीं तो' कहकर सर जो हिला दूँ
'झूठे-लायर' कहकर बिदक जाती है
जो मैं कह दूँ 'हाँ बेबी, थोड़ी सी'
ज़ोर से 'हुँह' करके भाग जाती है
मैं उसका बैग उठाये पीछे-पीछे
गधे की तरह भागता-मनाता रहता हूँ
ना सुनती है, ना मानती है, चुपचाप फ़िर भी
जाकर मेरी ही कार के पास खड़ी हो जाती है
उसे पता जो है, 'कैब भारी सवारी नहीं बैठाती है'
मैं फ़िर से सोरी बोलता हूँ फ़िर नाटक दिखाती है
कुछ दूर चलकर तो ऐसे जाती है जैसे पैदल जाना चाहती है
मैं कार लेकर पास जाता हूँ उतर के गेट खोलता हूँ
तब मोहतरमा अहसान झाड़ अंदर आती है
फ़िर आँसुओं की बाढ़ आती है
कल से पक्का डाइटिंग करूँगी कहकर रोती ही जाती है
'नहीं बेबी, आप ऐसे ज़्यादा अच्छी लगती हो' सुनकर सब भूल जाती है
'औ..' बोलकर फ़ोकट शर्मा जाती है
काहे की डाइटिंग, काहे का वेट, यह लड़की नही GST है
मेरे तो बिल्कुल समझ नहीं आती है
- साकेत गर्ग-
I entered the restaurant.
The first day I saw her.
Our eyes met for a brief time.
I found a romantic spot waiting for her.
She comes empty handed.
Awww why? My heart sinked.
I called her to my table and whispered,
With a real low tone and with hope
“Could you please get the menu card?”, I asked.
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प्यार होने के लिए प्यारा हृदय चाहिए,
ना की रेस्टाॅरंट, शाॅपींग के बडे बडे बिल।
दिल जितने के लिए अच्छे इरादे चाहिए,
ना की इंस्टा, युट्यूब के छोटे छोटे रिल ।
-JITU/G2/GG-THE MIND SEEKER.-
//Restaurant Logic
Hot water for drinking - Gives water at room temperature
Hot water for finger bowl - Gives boiling hot water and gets fingers burnt.
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आज फिर वही टेबल है, इतेफ़ाक़ है या नियति है। हम पहली बार इसी रेस्टोरेंट में मिले थे, टेबल भी यही थी। पूरा रेस्टोरेंट भरा हुआ था, बस एक तुम्हारी टेबल की सीट खाली थी। पहले अटका था मगर भूख के जोर के कारण तुमसे पूछ ही बैठा था, "एक्सक्यूज़ मी! क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ"। तुम्हे ना जाने क्या हुआ था, ज़ोर से चिल्लायी थी, "नो" और खुद ही रोने लगी थी। उठी और बाहर भाग गयी थी, सारा रेस्टोरेंट मुझे ऐसे देख रहा था मानो मैं उनकी प्लेट्स का खाना हूँ। तुम्हारा क्लच वहीं रह गया था। मैं मन मार कर गुस्से में तुम्हे उसे देने निकल पड़ा था, जाने क्यों? तुम अगली गली में रोती हुई मिली थी, मैं क्लच को फ़ेंकते हुए वहाँ से जा रहा था कि तभी तुमने आवाज़ दी थी, "लिसिन! आई एम रियली वेरी सॉरी।" उस समय मैंने तुम्हे पहली बार ढंग से देखा था। बस वही पल था, जहाँ आज तक थमा-सा हूँ।
आज दो साल बाद हम अलग हो रहे हैं।
मैंने वकील से और तुमसे मिलने के लिये यही जगह चुनी है। शायद जानकर के, की तुम्हे फ़िर से एहसास हो। जो उस दिन के बाद कभी नहीं हुआ।
वही जगह है, वही मौसम है। उस दिन तुम रो रही थी, आज मैं। उस दिन मैं केयर-फ्री था, आज तुम। उस दिन मैं, 'मैं था' और तुम, 'तुम थी'। आज 'हम' फिऱ से 'मैं' और 'तुम' हैं। उस दिन के बाद से मैं और तुम, 'हम' थे। क्या आज के बाद फ़िर हम, वही 'हम' हो पाएँगे।
या यहीं देखे हुये सारे सपने, यहीं खो जायेंगे?-
Dear restaurants, why do you call
it Paneer do Pyaaza instead of
Pyaaza do Paneer when you
put only two pieces of
Paneer and hell
lot of onion
in the dish.
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