कभी कह ना पाया वह सारे राज लिखेंगे
तुम्हें गंगा और खुद को उसका एक घाट लिखेंगे
तुम्हारे होठों की मुस्कान और आंखों की चमक लिखेंगे
खुद को एक कांच और तुम्हें अनमोल रत्न लिखेंगे
तुम्हें देखकर होती थी उस सुबह को लिखेंगे
मंदिर जाते तुम्हें और पीछा करते खुद को लिखेंगे
पहली मुलाकात पर दिए उस काले धागे को लिखेंगे
तुम्हारे लिए रब से मांगी उस फरियाद को लिखेंगे
सोचकर तुम्हारा नाम चेहरे पर आई मुस्कान लिखेंगे
सुनो बैठ कर एक दिन हम तुम किताब लिखेंगे-
वह काशी विश्वनाथ मंदिर की सीढ़ियां लिखेंगे
जो हर इतवार तुम्हे देते थे वह बिंदिया लिखेंगे
पहली बार तुम्हारे हाथ को छुआ उस पल को लिखेंगे
तुम्हारे साथ देखा था जो मैंने उस कल को लिखेंगे
बदलते दौर में उस सादगी के प्यार को लिखेंगे
कभी-कभी होती थी जो तकरार को लिखेंगे
साथ बैठकर तारों को देखने वाली वह रातें लिखेंगे
पन्नों में लिख कर दिया करते थे वह बातें लिखेंगे
वह गंगा किनारे की आलमगीर मस्जिद लिखेंगे
सुनो बैठ कर एक दिन हम तुम पर किताब लिखेंगे-
किस कद्र है मोहब्बत आपसे जताए कैसे ।
क्या चल रहा है हमारे दिल में दिखाएं कैसे ।।
रूठना मनाना तो चलता रहेगा ।
दोस्ती के आगे भी कुछ है बताए कैसे ।।-
कभी खामोशियां तो कभी बातें लिखेंगे
वो गली और नुक्कड़ की मुलाकाते लिखेंगे
तुम्हारा रूठना हमारा तुम्हें मनाना लिखेंगे
वह घाट किनारे दीपकों को सजाना लिखेंगे
वह आरती में हमारा तुम्हें देखते रहना लिखेंगे
तुम्हारा हमारे लिए रोज वक्त पर आना लिखेंगे
गली के बच्चों का हमें देखकर हंसना लिखेंगे
छत पर खड़े होकर इशारों से बातें करना लिखेंगे
सोमवार को शिव मंगल को हनुमान मंदिर लिखेंगे
सुनो बैठ कर एक दिन हम तुम पर किताब लिखेंगे-
यूं सर्द रातों का ख्याल हो तुम
एक प्यारा सा एहसास हो तुम
हर बात में लाजवाब हो तुम
खूबसूरती में बेमिसाल हो तुम
मेरी जिंदगी का हिस्सा हो तुम
यूं सबसे प्यारा किस्सा हो तुम
सुनो उस चांद का नूर हो तुम
यूं मेरे लिए कोहिनूर हो तुम
अब कैसे बताऊं क्या हो तुम
जिस्म मेरा है पर जान हो तुम-
अपनी हर पसंद नापसंद का हिसाब लिखेंगे
बैठ के एक दिन हम तुम पर किताब लिखेंगे
कभी मीठी बातें तो कभी तकरार लिखेंगे
हम खुद को मोम और तुम्हें अंगार लिखेंगे
तुम्हारी खूबसूरती की हर एक बात लिखेंगे
कैसे तुम मुझसे मिली यह करामात लिखेंगे
आवारा से समझदार तक का सफर लिखेंगे
तुम्हारा जो मुझ पर हुआ वह असर लिखेंगे
पहले पन्ने से आखरी पन्ने के बीच दास्ता लिखेंगे
सुनो बैठ के एक दिन हम तुम पर किताब लिखेंगे-
सुकून क्या है
उसे देखना और जी भर के देखना
खुशी क्या है
उसके साथ होना उसके करीब होना
प्यार क्या है
उसका नाम सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आना
इश्क क्या है
दिन रात बस उसके खयालों में रहना
मोहब्बत क्या है
एक तरफा ही सही बस उसे चाहना-
चले गए मुझे छोड़कर तुम
अब वापस आना जरूरी है क्या
रहते हो अब किसी और के साथ
यह बात बताना जरूरी है क्या
मिल गया कोई और हमसफर तुम्हें
उसकी खूबियां गिनाना जरूरी है क्या
तेरी जुदाई के जख्म लेकर बैठा था मैं
अब इन पर नमक लगाना जरूरी है क्या
यूं तो मर गया था मैं पहले ही
अब वापस तेरा मुझे मारना जरूरी है क्या-