ये सियासत की आड़ में धर्म और मज़हब को ना बांटिए जनाब,
सुबह की पूजा और शाम की अज़ान, दोनों ही कूबूल है हमें ।-
कूबूल हो जाती तो बात ही क्या होती जनाब,
वो दुआ जो कभी हाथ की लकीर न बन पाई ।-
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رکھ دی جاتی ہیں آخرت کے لیے فضول نہی ہوتی
کچھ دعائیں قبول ہوتی ہیں کچھ قبول نہیں ہوتی
रख दी जाती हैं आख़िरत के लिए फिज़ूल नहीं होती
कुछ दुआएं कबूल होती हैं कुछ कबूल नहीं होती
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सहिफ़ा__صحیفہ-
आज मेरे दिल को ये क़ुबूल हो गया
क्योंकि आज तेरा इज़हार मुझे मंज़ूर हो गया।।-
कुछ ऐसे मिले हम....😍
मानो की मेरे शहर के सारे दरगाह के धागे कह रहे हों कि हा तुम्हारी दुआ कबूल हुई ।-
Jab meri "Dua"
qubool ho to mai khush
hoti hoon
Ke isme meri marzi hai
Aur jab qubool na ho to mai
Aur zyada khush hoti hoon
Kyun ke ye mere Rab ki marzi hai.-
ये इश्क है मेरे यारा,
इसमे नहीं होता कोई भी उसूल ,😘
यार भले जैसा भी हो,
होता है हर एक हाल में कुबूल..!!!💕-
Ishq se gaafil to nahi par itna pata hai
Gar niyat nikah hai To mohabbat qubul-
और बद्दुआएँ दो हमें...........
हमारे लिए की गईं सारी दुआएँ बेअसर रही हैं तो बद्दुआ क्या कुबूल होगी!-
सजदे मे मेरा दिल लाया हु...
कबूल कर इसे...
तेरा ही हु मे जाने रब...
अब कहु मे किस किस से...-