मोहब्ब्त तो उनकी सच्ची थी
जिनके खून की खुशबू से आज भी
हमारे देश की मिट्टी महकती है-
मैं एक लड़की हूं कोई खिलौना या गुड़िया नहीं
जिसे जब चाहे खेला तोड़ा और फेक दिया ।
मै किसी की बेटी हूं किसी की बहन हूं
तो किसी की एक अच्छी दोस्त हूं ।
फिर क्यों मुझे इन चार दीवारों में कैद कर रखे हो.....?
क्या मुझे हक नहीं बाहर घूमने का?
अपनी इच्छाओं को पूरा करने का।
फिर क्यों ये जिंदगी को घुट घुट कर जीना पड़ रहा है।
क्यों ये समाज नहीं समझता?
क्यों ये लोग एक लड़की का दर्द नहीं समझते?-
पटना के घाट पर नरियर
नरियर किनबे जरूर...
नरियर किनबो जरूर...
हाजीपुर से केरवा मँगाई के
अरघ देबे जरूर...
अरघ देबे जरुर...
आदित मनायेब छठ परबिया
बर मँगबे जरूर...
बर मँगबे जरूर...
🙏🙏🙏-
" मैं इतनी सुंदर तो नही,पर क्या करूं"
मैं वेदिका,तू आशनी
मैं हासिनी तू चाशनी
तू करिश्मा, मैं आत्मिका
तू भौतिक अप्सरा और मैं आध्यात्मिक मायरा।।
तेरा तर्ज़ कैरवि मेरा तर्ज़ उज्जवला
फतह की डगर पर अंतस् कुछ यूं चला
मानो तेरा सम्मन फाल्गुनी,मेरा सम्मन ओजस्विनी
मेघों के वन में हम दोनों ने यही राह चुनी
तू भौतिक अप्सरा बनी और मैं आध्यात्मिक मायरा बनी।।
- चित्रा द्विवेदी--
इसको इश्क़ कहो या जुनून जो अपने वतन के लिए अपनी जान तक क़ुर्बान कर अपनी भारत माता की आंच बचाये बैठे हैं
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Daughter Of India Who Made Us Proud!
Happy Birthday To P V Sindhu
The Rio Olympics Silver Medalist ✨-
🔥सिंदूर🔥
पैरों में बिछिया पहने, वह कर बैठी सोलह श्रृंगार
गाती गाने सुहागनों संग, मना रही तीज - त्योहार
सहसा कोई चीख उठा था, बंद हो गए गाजे बाजे
झंडे में लिपटा एक तन, आया था घर के दरवाजे
देश के लिए अमर हो गया उस नारी का सौभाग्य
पलभर में सुख नष्ट हुआ, कैसा निर्मम था दुर्भाग्य
रोती स्त्रियां चली मिटाने सिंदूर पड़ा उसके सर में
वह नैनों में एक गर्व लिए बोली उठी स्थिर स्वर में
ना मांग सिंदूर मिटाऊंगी, ना ही मैं चूड़ियां तोड़ूंगी
वह अपना गौरव ओढ़ेंगे, मैं अपना गौरव ओढूंगी !-
मैं झूठ पर प्रहार हूँ मैं सत्य का बाजार हूँ
चाटुकारिता की भीड़ में मै निर्भीक पत्रकार हूँ
आंख बंद कान बन्द जुबां पे बस गुणगान है
छिन्न भिन्न जमीर है कलम का भी व्यापार है
राष्ट्र हित के बोल मेरे मैं देशद्रोही करार हूँ
मैं एक पक्ष का नहीं पूरे देश का गुलाम हूँ
जाति धर्म और ये खुशामदी की दौड़ में
छात्रहित, समाजहित से न कोई सरोकार है
विरोधियों की भीड़ से अलग एक मशाल हूँ
मै दूर गाँव के किसी गरीब की आवाज हूँ
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वसुंधरा में मगन होकर, अन्न उगाने वाला वो किसान है
जान लगा,,दुश्मनों से देश को बचाने वाले वो जवान हैं
फैल रही है,, विश्वभर में भारत की, विविधता की खुश्बू
पिरोता है,जो हमको एक सूत्र में,,,वो हमारा संविधान है-