सुबह सबेरे उठ कर, तेरा नाम लिखता हूं
आयतों की तरह तुझे, दिनों रात सुनता हूं।
तू वो धुन है जो, चलती है सोते जगते
नींदों में भी बस, तेरे ख्वाब बुनता हूं।
चेहरा तेरा नूरानी, सादगी तेरी माशाअल्लाह
तू आती है नज़र, जब भी गलियों से गुजरता हूं।
आंखों की तेरी मासूमियत, कोमलता बदन की
गुलाबों के बागों में, तुझे महसूस करता हूं।
तू जब - जब मेरी बातों से, इंकार करती है
तेरे गुस्से वाले चेहरे पे, मेरे यार मरता हूं।
तेरी बेवाकी में है इक, छोटी सी लड़की
तू हंसती है तो मैं, उसका दीदार करता हूं।
बातों से तो 'रन्नो' तू मुझे पागल लगती है
पर पता नहीं मैं क्यूं, तुझे प्यार करता हूं।
तू जान भी मेरी ले ले, ये तेरी अमानत है
अपनी तुझपे "हयात" मैं निसार करता हूं।।
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