इज़हार-ए-इश्क़ इक शख्सियत से था ,
उसके किरदारों से नही-
5 JUN 2020 AT 13:55
काश !! कुछ यूं बैठो साथ हमारे..
कि
जाने का फिर कोई बहाना ना हो!-
25 AUG 2020 AT 19:48
मेरे ख्वाबों का अब कोई दायरा ना रहा!!
ये तुझसे शुरु होकर तुझ पर ही ठहरने लगे है।।।-
2 JUN 2020 AT 23:20
मेरा चांद मुझसे नाराज हुआ है,
जो छिपकर बैठा है बादलों मे,
.
.
लगता है आज तारों की महफिल मै किसी का दीदार हुआ है!!!-
14 NOV 2020 AT 23:05
शायरी समझ रहे थे जिसे सब
अपनी जिंदगी का फसाना लिख रहे थे तब!!-
13 NOV 2020 AT 9:23
रूठ कर चले जाने का हुनर तो उनमे ही था,
हम तो कभी नाराज भी नही हुए!!-
8 NOV 2020 AT 13:34
मानती हूं
इतना आसान तो नही रहा होगा
यूं आगे बढ जाना तेरा,
"रही होगी मजबूरी तेरी जानते
है हम,
देंगे साथ तेरा हम ये वादा है!!"-