सुबह सुबह उठते ही,
मुस्कुराहटें दिल के रास्तें
चेहरें पे देती है दस्तख़त आजकल..
अब तो ख़्वाहिश है बस यहीं,
एक हाथ में चाय तो दूजे में
आपका हाथ हो कल..!-
अपने कोमल भावों को, स्नेहिल क्षणों में पिरो कर,
तुम्हारे आलिगंन की ख़ुशबू भर कर,
चलो फीकी पड़ी सी जिन्दगी में रंग भरते हैं..
फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !!
विश्वास की डोर को मजबूत कर,
हृदय की धड़कनों को सहेज कर,
रब से हमारे नसीब में मसर्रत माँगते हैं..
चलो फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !!
खुशी के पलों में साथ रहकर,
ग़म के पलों में सदा साथ देकर,
जब तक मर्ज़ी ना हो तुम्हारी, तुम पर हक़ ना जताकर,
हर साँस में ज़िक्र, हर नफ़स फिक्र तेरा करते हैं..
फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !!
फिर से तेरे दिल में आने को हम इज़हार करते हैं !!-
खुश नहीं है हम कि
उसने खुद को छुने ना दिया..
माना कि वो चाँद है, नखरे तो दिखाएगा
मगर ये "भारत" उसका आशिक है,
फिर से जोशीले इरादों का तूफ़ान लाएगा..!
माना कि हम थोड़ा सा चूक गए है
मगर यें ना समझना कि हम रूक गए हैं..!
हम लौट कर फिर से आएंगे ,
टुटा था संपर्क तो क्या
अब उसके माथे पर हिन्द का तिलक लगाएंगे..!!-
लड़ते रहते हैं मेरे भीतर के अल्फाज़,
कोई कहता है आपको चांद-तारा कहूँ
तो कोई कहता है पूरी कायनात..!
तहसीन भी क्या करूँ आपकी खूबसुरती का..
चेहरा खूबसूरत इतना कि
चाँद का नूर भी फीका सा लगे..
आवाज प्यारी हैं इतनी कि
गुलाबजामुन की मिठास भी लगे कम..!-
सब कहते है इश्क़ में वो अपनी दिल हारे है,
मगर हमने तो सब जोड़े हैं..
ये दिल से दिल क्या,
मेरे तो नफ़स भी तुम्हारें हैं..!-
अमावस्या की रात को भी
जो बिखेरे चाँदनी
वो चाँद हो तुम..!
बेशक वो चांद होगी नूरानी,
मगर तुम्हारी चांदनी के आगे
तो कोहिनूर भी है थोड़ी..!-
तुम हो तो
बना मेरा सौभाग्य है
मेरे जीवन का तुही आधार है..
तुम हो तो मानो फ़लक को मिल गया आफ़ताब है,
लिखी हो जिनमें मुहब्बत की आयतें सब..
तुम हो तो वो मिली मुक्कमल किताब हैं..!
अब तूझसे शुरू तूझी से खत्म है,
मिली जो तुम, तो बेचैनी भी रुख़्सत हैं..!-
मैं लोकतंत्र का जनक,
शांति समृद्धि स्वरूप
ज्ञान का सूत्रधार हूँ
हाँ मैं बिहार हूँ !!
हाँ मैं बिहार हूँ !!
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तुम कौन हो,
मैं कौन हूँ,
यें ना पूछों सनम..
हम-नफ़स, हम-सफ़र, हम-नवा हो तुम..
हर जख़्म को भर दे जो वो दवा हो तुम..!-
चेहरें पर पड़ती बारिश की बूँदे,
हवा की ठंडक...
और आसमाँ मे कड़कते यें बादल,
बहुत सारी खुशीयां दे जाते है एक साथ..!
जो ना पसंद करतें है बरसात...
उन्हें भी करा देते यें अपने नूर से मुलाकात..!!
कृषकों के भी है खिलें चेहरें...
बारिश की बूंदे जब है धरा पर पड़े..!!
इसी बारिश में,
हमने भी है फिर से इक उम्मीद पाली..
उसके inbox में, फिर से है एक msg डाली..!-