QUOTES ON #POETESS_PRIYA

#poetess_priya quotes

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16 JAN 2020 AT 11:58

समय सीमा ही व्यक्ति को आगे बढ़ता है। चाहे इम्तिहान हो, कार्यालय हो, या हो कोई निहित कार्य ये समय सीमा ही उसे पूर्ण करवाता है। जो देते हैं महत्त्व समय सीमा का वही अपने देश का सम्मान बढ़ते हैं।

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27 JAN 2020 AT 12:09

ऊपरवाले ने कितना खुबसूरत रंगमंच सजाया।
हर इंसान को अलग किरदार बनाया।

किसी ने बखूबी अपना किरदार निभाया।
कोई अपने किरदार में कभी समा ही न पाया।

किसी ने अपनी कलाकारी से सबको हँसाया।
किसी ने सबको पल पल रूलाया।

कोई नायक बन इस रंगमंच की शोभा बढ़ाता है।
कोई खलनायक बन इसे बेरंग कर जाता है।

ऊपरवाला जब परदा गिराता है।
हर किरदार अपनी कलाकारी पे गर्व करता या पछताता है।

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3 FEB 2020 AT 12:38

ख़ुशियों का फूल बनो, किसी का गुलशन महका दो,
बिखेर दो अपनी खुशबू हर किसी की ज़िन्दगी में, उनके चेहरों पर मुस्कान ला दो, बाँट लो दुःख, दर्द और सबके काम आओ।

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23 JAN 2020 AT 14:31

करती सखियों सी ठिठोली,
चलती, खेलती, घूमती, संग,
कभी न छोड़ती दामन मेरा,
आकार बदल मुझे सिखाती,
इस दुनिया में जीने की कला बताती,
कहती कभी बड़ी हो बड़प्पन दिखाना,
कभी छोटी बन सम्मान दे सबका प्यार पाना,
और जहाँ जरूरत नहीं वहाँ छिप जाना।

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22 JAN 2020 AT 13:29

हे ईश्वर! मेरी काल्पनिकता की दुनिया एक वास्तविकता बन जाये,
कितना सुन्दर वह जहान होता है जहाँ महफूज़ हर इंसान होता है,
न सोती है कोई माँ भूखे पेट बच्चों संग, अन्न, धन, लक्ष्मी हर घर विराजमान होती हैं,
न होता कोई युद्ध, न कोई बेरोजगार होता हैं, चारों ओर खुशियों का अम्बार होता हैं।

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14 JAN 2020 AT 12:52

दोगुनी हो जाती है,
जब वीरों के पथ में बिछाई जाती हैं,
गर्व करती हैं अपनी महक पे,
जब इस मातृभूमि के काम आती हैं।

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20 JAN 2020 AT 12:14

कभी रिश्तों को जोड़ता,
कभी तोड़ता,
कभी दिल का भार उतारता,
कभी भारी कर देता,
कभी खुशियों की बौछार करता,
कभी गम बेशुमार देता,
समझौता शब्दों का होता ही ऐसा।

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18 JAN 2020 AT 12:55

आती है ज़िन्दगी रूपी स्टेशन पर, रुक कर बहुत उथल पुथल मचाती है।
थोड़े समय में कितना उलझाती है, कुछ हारते हैं, कुछ इस पर चढ़ उस पार उतर जाते हैं
उलझनों की रेल क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, कलह, क्लेश, उदासीनता जैसी ईंधनों से और आगे बढ़ जाती है
जिंदगी में आएगी अनेक उलझनों की रेल, हे राही!! सुलझाकर इसे पहुंच जाना आपने गणतब्य स्थान पर।

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19 JAN 2020 AT 14:38

क्यों बन जाता बाबुल सौदागर,
कर आता अपनी लाड़ली का सौदा,
पालता है जिसे इतने नाजों से,
देकर हर खुशी अपनी,
एक खरोंच भी आए बेटी को,तो आँसू उसके बहते हैं,
रखता है महफूज़ उसे देके हर दुआ अपनी,
क्यों करता बेटी का सौदा दहेज दानवों संग बनके खुद एक सौदागर।

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4 FEB 2020 AT 18:43

न जाने कितनें रिश्ते, परिवार, जान और ईमान को बचाती उम्मीद की किरण। न टूटने देती भरोसा आखिरी क्षण तक, इस कदर सहारा बन जाती, हौसला आफ़ज़ाई करती पल-पल, हार न मानने देती उम्मीद की किरण। जो थामे रखता दामन इसका उसका साथ निभाती उम्मीद की किरण।

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