किस्मत की लकीरों के भरोसे बैठा रहा वो
गुजर गई किस्मत लकीरों की तंग गलियों से
कह गई कानों में, कुछ तू चल कुछ मैं बढूं
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से
किए त्याग हजारों तूने, कई सपने जो सजाए
तन मन की तारतम्य बना, कुछ बात बन जाए
यूंही नहीं मिलती मंजिले, गुजरने होंगे पगडंडियों से
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से
अवसर की तुम ताक में बैठे, चूक गए कई निशाने
अवसरों ने दस्तक दिए, तुमने दबाए तकिए सिरहाने
बहुत हुआ आलस्य का आलम, तू रख हिम्मत हथेलियों पे
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से-
समुद्र के उस आखरी छोर पर,,,
खड़ा था इश्क़,,,
उस छोर पर,,,
जहाँ से आज़ादी का आसमाँ शुरू होता है,,,
हाँ मैंने भी उनमें से एक को चुन लिया,,,
हाँ मैंने आज़ादी का रास्ता बुन लिया,,,
#_Parul-
मौन...
प्रेम और घृणा
दोनों को
पराकाष्ठा तक करने का
सबसे सरलतम रूप है,
लेकिन
सरल कदापि नहीं।-
प्रेम
.......................
जीवन में एक बार
उम्र के किसी पड़ाव पर,
ईश्वर तुम्हें कुमुदिनी सा
कोमल ज़रूर करेगा...
तुम उस चाँद की गर्माहट में
अपनी सारी पंखुड़ियाँ खोल
खिल उठोगे...-
तुम्हारे लिखे प्रेम पत्र
इतने सूख चुके हैं
की शब्द आपस में रगड़ खा रहे हैं,
बहुत शोर है चाँद पर,
सुना है
आग लग गयी है...-