अपनी- अपनी राह पे चलते हैं,
देखी थी जो मंजिल अब किसी और के साथ ह चलते हैं,
तुम खुद को जिओ मैं खुद को जियूँ बस बात ये करते हैं,
ना हम से रखो तुम गिला ना शिकवा तुमसे रखते हैं,
बस कभी नजरें मिलीं तो होंठो पे वो मुस्का वही रखते हैं,
लफ़्जों की बात नहीं बस जज्बात वही रखते हैं।।
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