अपने मन के विचारों को
मैने शब्दों का रूप दिया है।
मैने तो बस वही लिखा है।
जो मैने देखा , मैने समझा , मैने जिया है।
कुदरत से इस जिंदगी मे ,
जो मुझे तोहफे मे मिला है।
हर रंग में ढलती अपनी जिंदगी मे ,
मैने जिन्हें महसूस किया है।
अपनी ही पल - पल बदलती सोच को ,
मैने " पंख " नाम दिया है।-
कैसी ये बेचैनी है
कहीं लगता ना अब मेरा मन
अश्कों की जगह आंखो मे
बस गया है सूनापन
हाथ हो किसी का इन हाथों में
यही इस दिल की ख्वाहिश है
चाहत की बारिश में भीगने को
लम्हा लम्हा तरसे मेरा मन
अधूरा सा सफर है ये
है अधूरे से है कुछ कुछ हम
अपनो का साथ है
फिर भी कहीं
किसी के साथ से है महरूम
खुद मे तन्हा तन्हा हम
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तुमसे मिला जो ये तोहफा प्यार का
मुझे हर तोहफे से प्यारा है
देखो मुझे गौर से तेरे एहसास ने
मेरी रूह को किस कदर निखारा है
सच होंगे सारे ख्वाब एक दिन
ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है
पर मैं हूं जहां , तू है वहां
तेरे एहसास ने
मुझको
मेरी जिंदगी को संवारा है
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Vakratunda Mahakaya
Surya Koti Samaprabha |
Nirvighnam Kuru Me Dev
Sarv-Kaaryeshu Sarvadaa ||
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संग संग गुजार ले
आने वाला कल कैसा होगा
इसकी हमें खबर ही कहां है
कल तुम कहां होगे
कल हम कहां होंगे
इस पल हम साथ है तो
इसे ही संवार ले-
दोस्ती रब का ही दिया
अनमोल तोफा है
जिसके बिना खुद रब भी
कहीं ना कहीं अधूरा है
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जो आपको बदलने की ,
कोशिश नही करता है।
आप जैसे हो ,
आपको वैसा ही अपनाता है।
ये हरगिज जरूरी नही ,
ऐसे रिश्ते का कोई नाम हो।
पर जब भी आप ऐसे किसी ,
शख्स से मिलों।
समझ लेना की ,
ये आपकी रब से हुई
एक खूबसूरत मुलाकात है।
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इंद्रधनुष के रंग से दिखे
हाथ थाम एक दूजे का ऐसे
जैसे लहरे संग लेकर नदिया चले
कुटुंब तो ऐसा ही दिखता है
जैसे एक सूरज संग उसकी किरणें दिखे
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बात को तुम तोलना
कहीं ऐसा ना हो
हमारे कहे लफ्ज़
किसी की रूह को चोट
पहुंचा दें।
क्योंकि जिस्म में लगे ज़ख्म
भर जाते है।
पर रूह पर लगी चोट
कभी नहीं भरती
ना ही कभी कोई भर पाता है।
ना वक्त और ना ही कोई लफ्ज़-