हम थोड़े शांत ज़्यादा हैं
क्यूंकि मोबाइल से दूरी और
लोगो से नजदीकी ज़्यादा हैं,
बात तो कर लेंगे लाखो
फोन पर नहीं, हमसे मिलने आओ कभी,
लोग कहते हैं आंखें झूठ नहीं बोलती
ये सच नहीं कीसिके खोने का एहसास ज़्यादा हैं,
मिलन की रुत होती नहीं कभी
ज़िन्दगी हैं कुछ लम्हों की सौगात,
ना आगे ना पीछे, साथ चलेंगे ये मेरा वादा हैं।।
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