वक्त क्यूं सिसक रहा मन क्यूं भटक रहा वादें क्यूं रहते अधूरे धूंधले क्यूं लगते सवेरे दोपहर क्यूं जल रही सन्नाटे में सिसक रही शाम क्यूं लगे बेगानी पूरी कब होगी ये कहानी
जब एक लड़की बड़ी हो जाती है तो उस पर बहुत सी पाबंदियां लग जाती हैं, इतनी कि उसके घर से वो विदा होकर जाती है या तो जनाज़े में इसके अलावा उसे बहुत कम इज़ाज़त होती है कहीं और जानें की पहले उसका मन होता था पर वक़्त के साथ वो भी मर जाता है पर वो गलत हमेशा खुद को ही बताती है उसे पता होता है पापा किस बात पर खुश होंगे और किस पर नाराज़ फिर वो वही करती है जिसमे पापा खुश रहें