छाँया नहीं है...
छाँया नहीं ये ,
मन में बसा,इक शहर है मेरा,
छाँया नहीं ये,
यादों से सजा,स्वप्न महल है मेरा।
ये मेरे एहसास, ये मेरे जज़्बात..
ये छाँया नहीं हैं,
ये मेरी आहें, मेरी आहों की करामात...
ये छाँया नहीं हैं,
तू भी कभी मेरे साथ थी,
और मेरी छाँया नहीं थी,
पर लबों पर बची तेरे लबों की नमी,
अब छाँया ही है।
छाँया नहीं ये,
इक सुनहरा सा,हसीं ख़ाब है मेरा
छाँया नहीं ये,
साये को बनाता,दमकता आफ़ताब है मेरा।
ये मेरी सांसे, ये मेरी धड़कन..
छाँया नहीं है,
वो मेरे खेल, वो मेरा बचपन..
छाँया नहीं है,
वो चमकते दांतो की भोली हँसी,
कोई माया नहीं थी,
पर चमकते दांतो की ये काली हँसी,
अब माया ही है।
छाँया नहीं ये,
काल पर थिरकता,मेरा आज है
छाँया नहीं ये,
कालपट पर गूंजती,मेरी अनंत आवाज़ है।
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