ज़िन्दगी रुलाती है मगर रोने का नहीं..!
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1 MAR 2021 AT 8:56
जिसके साथ महाकाल हो वो बदनसीब कैसे हो सकता है
नसीब वोही तकदीर भी वोही
जिस्म में वोही रुह में भी वोही समाते हैं-
19 APR 2020 AT 20:35
मैने खुदा को भी मजबूर होते देखा है.. बेटे के कोरोना होने पर माँ को दूर होते देखा है -
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12 JUL 2020 AT 12:32
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर, मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा....!
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12 JUL 2020 AT 10:11
दिल लगाने से अच्छा है, “पेड़ लगाऐ” वोह घाव नही कम से कम छाव तोह देगे...!
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24 JUL 2020 AT 11:00
दुखों का एक एग्रीमेंट था और हम ठहरे अनपढ़ हमने हर पन्ने में अंगुठा लगा दिया....!
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3 JUN 2020 AT 18:26
हम न कोई नाम हैं
हम न कोई पहचान हैं
हम तो बस एक भीड़ हैं
हम कुछ चेहरों की भीड़ हैं-
15 JUL 2020 AT 14:03
हम ऐसी जिंदगी जीते हैं, जिसकी इजाजत सरकार भी नहीं देती...!
“बात खत्म”-