पीरियड्स
ये लाल रंग नहीं
ये सबूत है तेरे उस रक्त का
जो हमसब के रगो में बहता है
कह जाते है दुनिया उसे अपवित्र
कर देते है उन दिनों हर चीज़ से दूर
रहो तुम अकेलेपन में
छोड़ यूँ देते उन दिनों में
भूल क्यों जाते है हम
है जीवन का आधार यही
रसोई घर में इजाजत नहीं
पूजा घर में प्रवेश नहीं
ये नहीं छूना वो नहीं छूना
आज भी हम सब की सोच में बदलाव नहीं
फिर भी अपवित्र कहलाती
दर्द की भाषा हम क्या जाने
जिसे ना पता हो उस दर्द के मायने
कहने को बदल रहा जमाना
फिर नहीं बदला ये लाल रंग का फ़साना....
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