वो साथ साथ चलती है मेरे
पर अंधेरे से डरती है
कभी दांए से तो कभी बाएं से
कभी पीछे से तो कभी मेरे सामने से,
मुझे छूके निकलती है
उसका होना मुझे मेरी मौजूदगी के होने
का एहसास दिलाता है
दुनिया क्या है ? दिखाने को
कई बार रूबरू मिलती है
हाँ अक्शर
नैन नक्ष , शक़्ल अक्ल
नज़र नही आते उसके
जनाब वो बस इक "परछाई" है
जो हर पल साथ आपके चलती है !!
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