मकबरों और इमारतों में तो ढूंढते हो मुहब्बत के फसाने
फिर असल में क्यों तराशते हो प्यार से बचने के बहाने!-
17 OCT 2017 AT 21:31
8 SEP 2019 AT 21:50
वो कुछ लोग थे जिन्होंने यादों में मकबरे बना दिए,
अब कुछ लोग है जो याद करते है मतलब बनने पर सिर्फ।-
12 SEP 2019 AT 22:45
Kabhi apne hi sapno ke makbare
Ke niche dafan huye ho?
Kabhi apne hi khwab ke,
Malbe mein Dabbe ho?-