वो पाँच दिन में बहुत रोइ थी,
जब पहली बार मुझे पीरियड्स हुई थी,
किसी से ना कह पाई थी,
अंदर ही अंदर खुद को अकेला पाई थी,
सोचा ये कैसा लाल रंग है
जो इतना गाना और दोनो टांगो के संग है,,
जैसे तैसे जा कर माँ से कह आई थी,
फिर माँ मेरे लिए पुराना कपड़ा ले आई थी,
मेने पूछना चाहा...क्या मुझे कोई चोट आई है,
फिर माँ ने बताया तू अब बेटा बड़ी होने को आई है,,
मेने चिड़ते चिड़ाते माँ से कहाँ क्या ये जरूरी है,
फिर माँ ने समझते हुए कहाँ हमने भी सहन किया था तेरे लिए भी जरूरी है,,
गिन सी आने लगी थी जब पहली बार पीरियड्स आई थी,
अब समझ आया उस दिन ही में नारी बन गई थी,,
जब पहली बार पीरियड्स आई थी,,
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