तहज़ीब, ढूंढते हुए कभी, शाम-ए-अवध आ जाना
धूप, अफीमी लगेगी..
हर शख्स.. नवाबी मिलेगा !!-
अजब ये है कि मोहब्बत नहीं की अब तक ,
गजब ये है कि शायरी का हुनर रखता हूँ..!!-
इक खूबसूरत सा फूल खिला
जिसे 'माँ' नाम दिया गया ...फिर
घर को सजाने के लिए उसे तोड भी लिया गया,
उसकी एक-एक पखुंडी को निचोड़कर इक इत्र बनाया गया, जिसे उसके बच्चों को दिया गया उनकी सारी जिंदगी महकाने के लिए..
🙏🏻माँ🙏🏻-
तेरी नूरानी हँसी खिलखिलाती देख ,
हर मौसम-ए-शाम दीवानी बन जाए!
जहाँ जाए बस तेरा ही जिक्र हो तू ,
लखनऊ की ऐसी तहजीब बन जाए!
दीवाली की तू पूजा और जो हर किसी के,
मन को भाए ऐसा तू ईद का चाँद बन जाए!
मुकम्मल हो तेरी हर ख्वाहिश जो कभी,
कोई भूल ना सके ऐसा तू इतिहास बन जाए!
तेरे अल्फाजों का तिलिस्म हर कहीं मशहूर हो,
जो हर कलम रोक दे ऐसी तू कलम बन जाए!
रूमी दरवाजा जैसी खूबसूरती और अम्बेडकर पार्क,
जैसा सुकून ऐसे ही तू पूरा लखनऊ शहर बन जाए!
__ satyam tiwari
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उसकी तस्वीर आंखो में ऐसी बसी है , कि हर पल उसका दीदार हो ही जाता है
उसकी मोहब्ब्त की कैद में , दिल खुद ब खुद गिरफ्तार हो ही जाता है
कितना भी खुद को रोकूं , पर ये दिल उसके लिए बेकरार हो ही जाता है
क्या करूं वो है ही ऐसी , कि उससे इश्क़ बेशुमार हो ही जाता है।-
मेरी मोहब्बत जिस्मानी नहीं रूहानी थी
पर तुझे तो रचनी मेरे साथ झूठी कहानी थी
वो तो तू ही बीच सफर में साथ छोड़ कर चली गई
वरना मुझे तेरे साथ बितानी पूरी ज़िन्दगानी थी-
खूबसूरत है ताज, जरा.. दूर से निहारिये
पाँव रखकर, मेरे चाँद को मैला न करो..— % &-
बड़ा गुरूर था खुद पर
एक गलती ने तोड़ दिया
बड़ा यकीन था उस पर
उस लड़की ने छोड़ दिया-