यकीं नहीं आता हैं..
मौसम ही बारिश का हैं
या बारिश का मौसम सजने लगा;
तू जो मिला,भीगा नजरों का नजारा..
भीगी दिल की जमीं..
आसमॉ जो तू मेरा हो गया..
धुन बजती..मोहनी ख़िलती कली;
बनती बागान का फूल..
दीवानगी कहूँ या दिल्लगी है
सर चढ़ के बोली हैं
भोर से साँझ तक नज़ारा;
नज़रों को लगता प्यारा...
वो कानों में गूँजती धुन..
बोलती हैं मुझसे
क्या दिल्लगी है तेरी;
जो दिल हार,जीत बैठी हैं तू..
सादगी में चढ़ता नूर
रिमझिम-रिमझिम बारिश की फुहार
जैसे सजता गले का हार..
औऱ कहती है! आँखों का हैं कसूर।
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#lovewritingthevoiceofheart_by Mona
#monakahar
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31 MAY 2021 AT 0:05
31 MAY 2021 AT 0:52
राह तकते-तकते ही थक जाती हैं आँखियाँ.
नींदियाँ लिये संगअपने ले जाती है आँखियाँ..
पलकों के झपकते ही मूंद जाती हैं आँखियों..
नहीं हैं कोई परवाह थकन कह जाती है आँखियाँ..
#lovewritingthevoiceofheart_by Mona
#monakahar-