बाल गोपाल तुम ही हमारो
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो,
सांवली सुरतिया,मोहिनी मुरतिया,
बस गए तुम नैन हमारो।
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो।
यमुना के तट गैंय्या चरावत,
संग गोपियन के रास रचावत,
राधा के तुम प्राण पियारो,
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो।
कर-कर चोरी
माखन खाये,
ग्वालन से मटकी फोड़वाये,
मन- मुग्ध करे लीला जो रचाये,
तुम यशुदा के नन्द दुलारो,
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो।
कालचक्र यूं चलता रहे,
तुम लीलाधर बनते रहो
आप ही निर्गुन जग के पालनहारे,
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो।
नहीं कोई दूजा सिवा तिहारो।।
#Anuradha #
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