मैं इकलौता नूर था, दादी अम्मा का
मैं रोशनी था, धुंध घनेरी रातों का
पुरानी बात थी, वह दौर गुज़र गया
मैं लालटेन हूँ, ज़माना मेरा बीत गया
पड़ा रहता हूँ अब घर के इक कोने में
एलईडी जैसी ओज कहाँ मेरे बत्ती में
रंगबिरंगा, जगमग करता अब रात है
बिसार दिया मुझे, थोड़ा अफसोस है
जब बुझेंगी बल्ब सारी, पास आना तुम
हाँ मैं पुराना हूँ, पर जला लेना मुझे तुम
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