"ठिकाने जीत के"
कायरों की हर एक नाकामी के, हज़ार बहाने हैं,
बहादुरों को कहाँ ढूंढने पड़ते ,जीत के ठिकाने हैं।
यकीं है अगर हौसलों पर तो लहरों पर चलना सीख,
बगैर तूफान में उतरे , ये जंग कहाँ जीते जाने हैं।
निकल पड़ा है सफर में तो देख चोटियाँ हिमालय की,
ये जो आसमाँ में चमक रहे हैं ,सब तुम्हारे खजाने हैं।
जमाना नहीं बनता मरहम किसी शख्श के ज़ख्मों का,
तू ज़ख्म अपने ताजे रख ,अब उसी से मिसालें बनाने है।
कुछ सपने अधूरे रह गए माँ-बाप के तुझे चमकाने में,
सारे ख्वाबों को पूरा कर,उनके सपने भी सच बनाने हैं।
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