लिखना मुझे आता नहीं
किसी ने मुझे यह सिखाया नहीं
बस जब उम्र बढ़ती गई
जिन्दगी कुछ उलझति गयी
कहानियां कुछ बुनती हुईं
और मैं उन्हें समेटती हुई।
मेरी लिखावट कुछ नहीं
बस मेरे दिल के दरार के कुछ अल्फाज हैं,
जिन्हें न मैं कभी बोल सकी
और न किसीकोे सुना सकी।
मेरी वो खामोशी कि जो कहानी है
बस वही मेरी लिखावट है।।
-