ढूंढता रहा इश्क को मैं
दिल की गहराई में
कमबख्त मिला तो सही
पर दर्द में तनहाई में-
मेरे सीने से मेरा दिल निकाल लेना
मेरे मरने के बाद उसका खिलौना उसे दे देना !-
तिरे हाथों को चूमती हिना से जलन है मुझे,
इस बद-ज़नी में मेरा रंग इससे गहरा हो चला है ।-
जो आँसू मेरी आंखों में हों
उनकी वजह तू बने
इससे बड़ी सजा क्या होगी
मोहब्बत में एक आशिक़ के लिए-
ओ रंगरेज.........
इश्क का एक आठवां रंग
होना मुनासिब था..
तेरी सुस्ती ने
जहां को बस
सात रंगों में समेट दिया...।।-
❤मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है❤
❤मैं वो हूँ जो कहता था की इश्क़ मे क्या रखा है❤
❤आज कल एक हीर🤷♀️ ने मुझे रांझा बना रखा है❤-
Kisi or se ishq karne ke baad
khud se ishq karna aasaan hai kya
ek murjhaye se phul ka phir pehle
ki tarah khilna koi mazaak hai kya
har baar aayine ke samne khud ke sath
kisi or ka ahsaas karna or phir uske dur
chle jane par ushi aayine me khud ko
aakela dekh khud ki maujudagi ko
talaash karna itna aasaan hai kya...-