J͟͟I͟͟M͟͟M͟͟E͟͟D͟͟A͟͟R͟͟I͟͟Y͟͟A͟͟
जिम्मेदारियां bin kahe aayi hai apna pata leke, na jaane kis mood par jane ki aash hai......
Junoon sa rang leke aayi hai yeh जिम्मेदारियां aapna bhoj liyee,
bachpana pigal sa gaya iske saaye mein...
Mehnat ka nasha hai yeh जिम्मेदारियों ka daur, bachpana chinane ki raah hai yeh जिम्मेदारियों ka daur.....-
कोई हमें ईमानदारी नापने का पैमाना ही बता दे!
लोग आजकल सुबूत मागने लगे हैं!!-
Dogs🐕
"Dekhna kabhi fursat se inki ankhon me wafadari kya hoti hai ...ye sikhayenge",
Prakruti ki nadan si kalakari hai yeh, inka pyaar aab insaan taul ke batalayenge,
Bezubaan sa janwar hai, dard se gumnaam hai, na maro isee iss mein bhi jeev ka vaas hai,
Kabhi dekho inki aankho mein, pyaar ka nivas hai, kabhi jio unke liye bhi wafadari bemisaal hai...-
"तेरी हंसी में वो ईमानदारी नही हैं,
जो एक सहमत इंसान में होनी चाहिए..!"
☻☻☻-
एक आदमी,
खुद से,
इमानदार बना।
और
इतिहास की,
पहली कहानी बना।
हरिश्चंद्र...!-
नज़र तो मिलाया करो, हमको अपने दिल की बातें बताया करो।
कभी कहते हो हमसे बहुत प्यार करते हो कभी तो जताया करो।
बात बात पर रूठ जाया करती हो जान मेरी, मान जाया करो।
हमारी नज़रों से दूर जाकर अपने आशिक़ को न सताया करो।
तुमको देखे बिना न मिलता है चैन न अता है इस दिल को करार।
निगाहें तुमको ही ढूँढा करती हैं शाम-ओ-सहर, दिख जाया करो।
तुम्हारे शहर में अब मेरा दिल नहीं लगता है, सब कुछ नीरस है।
जब कभी निकला करूँ घूमने को तुम बस मेरे साथ में जाया करो।
तुम तो जानती हो तुम्हारे बिना कहीं भी जाना मुझे गवारा नहीं।
कहीं के लिए भी निकलूँ मैं, तुम बस मेरे एहसास में आया करो।
ख़्वाब में भी आती हो तो आजकल गुमसुम और उदास रहती हो।
सुनो! जान जो कुछ भी होता हैं दिन भर तुम मुझे बताया करो।
तुम्हें तो पता है मैं हरदम दिल की सुनता हूँ और वहीं कहता हूँ।
कुछ भी कहूँ दिल से मान जाया करो, न दिमाग लगाया करो।
कि इक बस तुम्हारे लिए कितना अधूरा है तुम्हारा ये "अभि"।
जब भी तुम्हारे बिना बेचैन हो जाऊँ न, ख़्वाब में आ जाया करो।-
सच रिश्ते बनाते हैं, "अनजानों" को अपना बनाता है।
झूठ गिले-शिकवे बढ़ाता है, रिश्ता ख़त्म कर जाता है।
एकदूसरे के साथ रहने वालोंको ये अलग करजाता है।
सच्चाई से रिश्ता हरपल गहरा मज़बूत होता जाता है।
जिस रिश्ते में त्याग, क़ुर्बानी और बलिदान होता है।
वो रिश्ता अनंतकाल तक अनवरत चलता जाता है।
जब भी किसी प्यार करो तो सच्चाई की ईंट पर करो।
ऐसा रिश्ता टिकाऊ, प्रेममय और चिरायु कहलाता है।
सच की शिला पर खड़ा घर कभी नहीं डगमगाता है।
लाख आए फ़रेब और धोखे, ये तो पार हो जाता है।
झूठ का नक़ाब ओढ़कर प्रेम करने वालों को बाद में।
सच, ईमानदारी और न्याय का भूत बहुत सताता है।
सच बोलने वाले रिश्ते को मतभेद और मनमुटाव।
आपसी रंजिश और छल का घुन खा नहीं पाता है।
हमको क्या कहते हो सच कहने की बातें "अभि"।
ये मुसाफ़िर तो सच बोलकर ही तन्हा रह जाता हैं।-
इंसान ही इंसान से अब ईर्ष्या करने लगा है।
भलाई का ज़माना गया, वो छलने लगा है।
अब माचिस की आवश्यकता नहीं पड़ती,
एक दूसरे से हर कोई यूँही जलने लगा है।
अपनी बातें सबको प्यारी लगती हैं अक्सर।
दूसरों की अच्छी बात से बिदकने लगा है।
खुलेआम पाप किया जा रहा है समाज में।
एक आम आदमी समाज से डरने लगा है।
सफलता की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं सब।
अपने उसूलों का इंसान कत्ल करने लगा है।
रूहानी इश्क़ मानो किताबी बातें हो गई है।
आशिक़ अब केवल जिस्म पर मरने लगा है।
सनम मिल जाए तो उससे अच्छा कोई नहीं।
जो न मिले तो उसकी धज्जियाँ उड़ाने लगा है।
एक दौर था जब तेरे चारों ओर थी रंगीनियाँ।
एक अरसा हुआ तू अब तन्हा रहने लगा है।
तुझे देखकर के बड़ा तरस आता है "अभि"।
पहले खिलखिलाता था अब बुझा रहने लगा है।-
ईमानदारी से कमाई करने वालों के
शोक भले ही पुरे न हो पर नींद
जरूर पुरी होती हैं !!!!-