हिंदी ही है भाषा हमारी , हिंदी से है परिभाषा हमारी !
हिंदी ही है सभ्यता हमारी , हिंदी से है उत्पत्ति हमारी !!-
जीवन फ़क़त रंग है ,
इसकी दुनिया बेहद रंगीन है ।
अलग अलग इसके रूप है ,
अलग अलग इसके तस्वीर हैं । ।-
मैं देख रहा हूँ ,
यूँ वक़्त के साथ सबको बदलते ।।
कुछ बदल रहें हैं ,
तो कुछ हो रहें हैं "अजनबी " ।।-
बेशक़ कविता बदल नहीं सकती दुनिया लेकिन......
बदल सकती है ये किसी की सोच को ।।।।।-
हाल - ऐ - दिल , जज़्बात तुम समझ ना सके ।
तुम क्या गए , हम किसी औऱ के हो ना सके ।।-
चंद्रशेखर तू , जटा में गंगा को समाये तू
भांग तेरा प्रिय है , त्रिनेत्रधारी है तू
महाकाल है तू , नीलकंठ तू ।।
तू है शिव , तू है शम्भू
तू है देवों के देव महादेव । ।
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मौसम में भी प्यार का कुछ परवान चढ़ रहा है ।
सुना है , इज़हार-ऐ-मोहब्बत का महीना "फरवरी " आ
रहा है । ।-
ये पतझड़ को बहुत गुरुड़ है , पत्ते - पत्ते गिराकर
कोई इनसे कहो की मौसम का बदलना अभी बाकी है !
ऋतु बसंत का आना अभी बाकी है !!-
थोड़ा तो जरूर " तिरंगा " मायूस होता होगा ।
जब जब वो लहराने के बजाय ,
यूँ शहीदों पर लपेटा जाता होगा ।।-