इमली की चटनी
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हिंदी और इंग्लिश
दोनों ही हैं
एक दिन के दो पहलू
कभी सुबह गुलाबी सी हो जाती है
तो कभी
वॉइलेट सी होकर
छिपा लेती है
ना जाने कितने सितारों को...-
रोज़ रात मुझे ना सोचना
सोचना
कितना हसीन होगा
मेरा वहां जाकर बस तुम्हें याद रखना-
मेरा शहर साॅंस लेता है
रुक-रुक कर,
धीमे-धीमे
ये बना है अंधेरे से
जो खुद ही छुपता है
खुद से।
मैं आस लगाए
देखती हूॅं खिड़की से,
कि एक रोशनी
यहां सुबह लाएगी
और मिट जाएगी कालिमा
घरों के बंदनवारों पे
लिपटी हुई~
बह रही है जो
धीरे-धीरे
रुक-रुक कर
साॅंस लेते हुए--
मेरे शहर की तरह।-
मेरे शहर की कहानी ~
बारिश होते ही
टांग दी जाती हैं रेनकोट और छाते की रंगीन कवर
भूख लगते ही जोमैटो और स्विगी
ले आते हैं जलेबी और फाफड़े
दिल टूटते ही एलेक्सा बजा देती है
" अगर तुम साथ हो "
और अगर बच जाता है एक टुकड़ा दिल का
तो एमेजॉन और फ्लिपकार्ट
पहुंचा जाते हैं दिल जोड़ने का फेविकोल
/
पलक झपकाते ही याद आता है
बारिश बंद हो गई है
मगर मेरा शहर चलता चला जा रहा है
किसी की धुन पे-
सोचती हूॅं कितना अजीब है
लिखना उन कहानियों को
जिसकी शुरुआत हमेशा
मुझसे ही होती है
और जिसका अंत
फिर से, मैं ही होती हूॅं
कभी खेलती कूदती लड़की
तो कभी बढ़ती हुई बेटी, और फिर एक औरत
पल्लू के नीचे छुपी हुई
/जो बेटियॉं बन एक और घर छोड़ चली/-
मैं बैठी लिखने चंद सांसें ले,
सुनती हुई
टिक-टिक घड़ी की।
आज कितने साल हुए
आए हुए यहां,
जहां बैठ तलब
अब सुकून की हो चली है?
//अनुशीर्षक-
काश होते तुम लकीर
मेरे हथेलियों की,
जिसे देख हर सुबह
मैं खोलती अपनी ऑंखों को
और फिर,
पानी भर अंजली में
चाहती मिटाना तुम्हें
एक सपना समझ।
मगर पाकर तुमको वहीं
पोछ लेती हाथ अपने जल्दी से
और फिर बाकायदा गिनती तुमको,
तुमको और उन लकीरों को
जो मिलने की संभावना रखते
मेरे भाग्य से ।
और अगर नहीं मिलते...फिर?
फिर क्या,
छोड़ देती कुछ
तिरछी लाइनें समझ तुमको
जिनका रास्ता मेरे से होकर
कहीं दूर को जाता था।-
मुनासिब होता अगर मेरा भी खुश होना
घूमती फिर रही होती मैं भी सुर्ख रंगों में लिपटी हुई।-