मैं देख रहा हूँ ,
यूँ वक़्त के साथ सबको बदलते ।।
कुछ बदल रहें हैं ,
तो कुछ हो रहें हैं "अजनबी " ।।-
बेशक़ कविता बदल नहीं सकती दुनिया लेकिन......
बदल सकती है ये किसी की सोच को ।।।।।-
मौसम में भी प्यार का कुछ परवान चढ़ रहा है ।
सुना है , इज़हार-ऐ-मोहब्बत का महीना "फरवरी " आ
रहा है । ।-
I am not intrested in the race
to be no. 1 or to be the best of all..
Its childish game and man not bother
Who is back side and who go ahead.
I love to enjoy what i do, Thts it.-
हर खमोशी में छुपी हो तुम ....
हर पल में समाई हो तुम ।।
हाँ , तुम ही हो मेरा प्यार , इकरार ...
मेरा चैन ,मेरा सुकून हो
हाँ तुम बस तुम ।।
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ना जानें क्यों ऐ "विशेष "
धड़कनें तेज हो जाती है ,
जब भी पास उसका शहर आता है।-
मेरा तुझसे यूँ बेइम्तहां मुह्ब्बत करना
यूँ तुझपे ख़ुद का हक़ जताना ,
कहीं बेकाऱ तो नहीं !!
यूँ तुझे मुह्ब्बत करना , कहीं बेकार तो नहीं !!!
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फिर भी हो तुम !
ना होकर भी , तुम ही तुम समायी हो
तुम नहीं हो ......
फिर भी हो तुम!!
अक्सर तन्हाई में , जब मैं खुद में खोता हूँ
तुझको ही पाता हूँ !!
तुम नहीं हो ......
फिर भी तुम हो !!
तुम्हारी यादें हैं , कुछ बातें हैं ।।
तुम जा सकते हो , पर ये नहीं !!
तुम नहीं हो .....
फिर भी तुम हो !!
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वक़्त का तो पता नहीं , ये तो यूँ ही बदलता है ।
जो वक़्त के साथ भी ना बदले , और रहे साथ साथ हमेशा ।।
शायद वही "प्यार" है ।-