बचपन में सोचा करती थी,
काश मैं भी कोई रानी होती
कोई राजा मेरे लिए महल बनवाता
बड़े हो कर बता चला कि
रानी बनना इतना आसान भी नहीं
उन्हें देनी पड़ती है अपनी आजादी की कुर्बानी ,
कहने को तो पूरा महल उसका
पर सांस देखने के सिर्फ एक झरोखा ...
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खड़ा हुआ हूं मगरूर सा, तान कर सीना
है स्वर्णिम इतिहास गवाह मेरा
सारे जगत का है ये कहना
माना वक्त गुजर चुका है, ,जवानी ढल गई है तो क्या
इस इमारत की नीव में, दम बहुत है बाकी
आग भले ही बुझ चुकी है, मगर तपिश की है ये झांकी
रुख हवाओं का कुछ बदल सा गया है,मगर शील अब भी है बाकी
देखा है मैने घुटनों चलने वालों को थामे हुए छड़ियां-२
गवाह रहा हूं खेल तमाशों का,नचाई है खूब कठपुतलियां
समेटे हुए हूं राजपूती आन बान और शान की
अनेक किस्से और कहानियां
मगर वक्त की मार से आज सूनी है गलियां
रंगत बदली है शहर ने कई बार,
पर पहली बार थमी चहल पहल है
फिर भी सदा खड़ा हुआ हूं अटल
लेकर उम्मीद और सपने अचल
शान हूं गुलाबी नगरी "जयपुर "का, नाम है हवामहल ।।-
हमारे रिश्ते में और हवा महल में कुछ बड़ी अच्छी समानताएं है ..
दोनों की ही नीव नहीं हैं .
बहुत सुन्दर है .
और सदा के लिए है...
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मैं🙋कहानी📰में नया मोड़🤗भी ला सकती हूं
सुनिए👂मै🙋आपसे👤मिलने🤝
आपके शहर🌇 भी आ🏃♀️सकती हूं💞😉-
अब उसका इतराना अच्छा नहीं लगता।
और उसका मुस्कान अच्छा नहीं लगता।।
किसी की जरूरत बनकर बात बुंलनी की करती है।
अब उसकी दहलीज में जाना अच्छा नहीं लगता।।-
सब दूध के धुले है जिस शहर में हम हैं,
इस पाक बस्ती में एक नापाक बस हम हैं।
बेफिजूल गुस्ताखियो के हमपर इल्ज़ाम क्या कम है,
अपने शहर की गलियों में हम बदनाम क्या कम है।।
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