बैठ जाता हूं मिटृटी पे अक्सर....
क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है..
मैंने समुंदर से सीखा है जीने का सलीका...
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना...
किसी की गलतियों का हिसाब ना कर..
खुदा बैठा है तू हिसाब ना कर...
ईश्वर बैठा है तू हिसाब ना कर..।
- Harivansh Rai Bachchan
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ये समंदर भी तेरी तरह खुदगर्ज निकला,
ज़िंदा थे तो तैरने नही दिया और मर गए तो डूबने नही दिया.....
क्या बात करे इस दुनिया की,
"हर शख्स के अपने अफ़साने है,
जो सामने है उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नही उसे सब खुदा कहते हैं।"
हरिवंश राय बच्चन सर्
#copied-
हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला,
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला,
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले,
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला।।
#मधुशाला
#हरिवंशराय_बच्चन-
"मैं यादों का किस्सा खोलूं ..
तो कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
मैं गुजरे पल को सोचूं तो ..
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ..
अब न जाने कौन सी नगरी में
जाकर आबाद हैं..मुद्दत से ..
मै सहरे चमन में टहलूं तो
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैंं..-
Mann ka ho to achha
Mann ka na ho to jyada achha
Harivansh Rai Bachhan-
अब मत मेरा निर्माण करो!
तुमने न बना मुझको पाया,
युग-युग बीते, मैं न घबराया;
भूलो मेरी विह्वलता का,
निज लज्जा का तो ध्यान करो!
अब मत मेरा निर्माण करो!
इस चक्की पर खाते चक्कर
मेरा तन-मन-जीवन जर्जर,
हे कुंभकार, मेरी मिट्टी को
और न अब हैरान करो!
अब मत मेरा निर्माण करो!
कहने की सीमा होती है,
सहने की सीमा होती है;
कुछ मेरे भी वश में,
मेरा कुछ सोच-समझ अपमान करो!
अब मत मेरा निर्माण करो!
~~ श्री हरिवंश राय बच्चन
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