छोटी-छोटी खुशियो से एक जहाँ बनाया
मेरे यारा तू ने अपना एक आसमा बनाया
नासमझी के पायदानों पर तूने अपनी एक
छोटी सी दुनिया को बसाया,
रिश्तो को सी कर तूने उन्हें अपना
एक परिधान बनाया
चलते राह पर तूने कितनी ठोकरे खाई,
पर मेरे यारा तू उनसे भी कुछ नया सिख पाई,
रिश्तो में सामंजस्य बिठाते बिठाते तू
कितनी बदल गई
जाने कब इतना संभल गई,
नहीं पता किसी को के मेरे यारा के
अंदर क्या चल रहा है
पर मुझे पता है ,,, वो कल का सूरज बन रहा है,
जो बीत गया वो तेरा था
जो बीतेगा वो तू बनायेगी
जो बीत रहा है उसे तू सवारेगी
आखिर अपने माँ-पापा का असली
बेटा तू कहलायेगी।
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