एक ने देखे
फूल, कलियां
उन्हें हाथों पर सजा दिया।
और एक ने
हाथ देख कर
एक बगीचा लगा दिया।
- सुप्रिया मिश्रा-
एक चिता थी सामने,जला जो वो मेरा आक्रोश था।
क्षत्रियता निभा कर आज,फिर से मैं खामोश था।।-
"Do not pluck roses for me, my love.
I would rather blossom with you
in the garden of eternal fragrance."
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दशत ओ सहरा में बिखरता गया जो
हर दिन वो हम तेरा ख्वाब देखते रहे.
ढलती शाम में जहाँ बिछड़े थे हम
हर दिन वो ढलती शाम देखते रहे.
बज़्म'में मुनासिब समझा मुकर जाना.
रोज जुबां का झूठा एतबार देखते रहे.
बहुत आबा झाही थी ज़नाज़े पे उसके.
ज़िन्दा जो शख्स सबकी राह देखते रहे.
मेरे बश में नहीं था डूब के जाना माझी
किनारे पे बैठ पानी का बहाव देखते रहे.
अब्र सब्र खबर एक दीये की तीली बालिद
हाथों पे रख अंगार जलती कब्र देखते रहे.
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My heart is sunflower and you are the sun,
Sways where you move by.-
खुदा को ख़ुश करने के लिये.
सुबहा सुबहा बड़ी खुशी से फूलों का क़त्ल करते है लोग-
You sowed
seeds of pain
inside my heart,
I plowed it
with my pen.
Now,
poetry blooms in it.
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जलराशि की खुली सतह से,
ऊपर आकर देख रहा,
अरुणोदय की प्रतिक्षा में,
शिथिल गगन को देख रहा,
हे प्रभात! तुम आ जाओ,
शिथिल गगन में छा जाओ,
शीतलता को सहता सुमन,
ऊष्मा की राह को देख रहा
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you are here
to feel the rain
that I am.
you know why
I hated umbrellas
I know why
you loved them.
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