🌈'पुनर्जन्म'🌈
18 अप्रैल 2018, ये तारीख़📅 बहुत ख़ास है
मौत💀आई थी मुझे लेजाने और बाकी एक दास्तां है।
5 बजे, ट्यूशन से निकलते ही, गाड़ी🚗से टक्कर हुई:
कोशिश करने पर भी जब ज़मीन से ना उठ सकी,
तो जाना पैर की हड्डी मेरी टूट गई।
नशे में धुत्त, गाड़ी के ड्राइवर ने, दो कदम दूर अस्पताल में मुझे पहुंचाया; जब तक आता कोई मुझे संभालने, वो चुपके से भाग🏃गया।
फिर आए मेरे दोस्त, जो साथ ही ट्यूशन से निकले थे; उस वक़्त दर्द से नहीं, 12वीं कक्षा के विषय में सोचकर मेरे आंसू😢निकले थे।
भारी सांसों से मैंने माता-पिता को फ़ोन📱लगाया था, क्या बीतेगी उनपर मुझे तड़पता देख, ये सोच मेरा दिल भर आया था।
मां, चाचा और बुआ आने के बाद मुझे Orthopaedist🏥 के पास ले जाया गया, खुशनसीब थी मैं जो उनके आने तक मुझे दोस्तों का साथ मिल पाया।
पिताजी को गांव🏞से आने में थोड़ा समय लगा, पर मुझे देखकर ' कुछ नहीं होगा ' के सिवा मुंह से कोई शब्द न निकल सका।
4 घंटों की सर्जरी के दौरान, मैंने डॉक्टर को selfie📸 के लिए भी बोला; ऑपरेशन थिएटर🎭 से बाहर आते ही, सबके चेहरे पर नूर था खिला।
मौत☠ से जंग जीतकर, यही मैंने सीखा; कोई ख्वाहिश या बात कभी मन में न रखो, और आदर करो माता पिता का; क्योंकि जिंदगी का कौनसा लम्हा आखिरी है, ये किसीको नहीं पता😇।
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