07.05.2019 Time 11.14 AM
हमे हर दरिया में ,अब प्यार सा दिखता है
नसीब नहीं पाने का, फिर भी खुमार सा लगता है ।।
ना जाने कौन से ,पीपल के नीचे बैठे हम सारी रात
पतझड़ आ गया फिर भी,वो पेड़ हराभरा सा दिखता है।।
इस राह से गुजरी है , ना जाने कितनी नस्लें वस्ल की
ट्रेनें गुजरने के बाद भी , प्लेटफार्म पर जमावड़ा सा रहता है ।।
- भगवान राजपुरोहित
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7 MAY 2019 AT 12:06