किसी रोज़ अर्थी उठे हमारी और सही वक्त आने पर
तुम्हारा भी जनाज़ा उठ जाए...
दुआ है ऊपरवाले से मेरी कि चार कंधे मिले मुझे और
चार कंधे तुम्हे भी मिल जाए...
दुआ मैनें कि तुम्हारे दुश्मनी निभाने पर, मेरी दुश्मनी की
एक बद्दुआ तुम्हे लग जाए...
जो दर्द मेरे जिस्म को मिले जलाने पर, उसे कहीं ज्यादा दर्द
मिले जब तुम्हे दफनाया जाए...
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