करोगे क्या...? अगर कहूँ की उदास हूँ मैं करोगे क्या...? अगर कहूँ की नाराज हूँ मैं करोगे क्या...? अगर कहूँ की बेकार हूँ मैं करोगे क्या...? जो कहूँ बस तेरी हूँ मैं
प्यार भी करती है, बवाल भी करती है। मेरे हर गम से पहले खुद तकरार भी करती है, भूल जाउ उसे ऐसा वो होने नही देगी क्योंकि मेरे हर साँस पे राज़ भी वो करती है। My Lady....
Dream... अटकी हुई हैं तु ख़यालों मैं कही। बरसो बरस न सोचु तो भी चली आती है। वही तराशा हुआ हुस्न लेकर सरे राह चराग जलाती हुई। वही मासूम चश्म और दिलों को भुझाती हुई। जब बुहत दूर चली गयी हो तो खवाबों मैं क्यू आती हो। क्यू मेरे ठंडे पड़े दिल को हल्के से तड़पाती हो। जब ज़ख्म मरहम बनने लगता है तो एक नया ज़ख्म दे जाती हो। खैर हम भी कभी एक दिल कश खाब बनकर आयेगें। और जानेमन आप को जी भरकर तड़पायेगे। सोचेगे आप के लिखे दो शेर हमारी जानिब। लेकिन हुनर फ़राज़ था आप कहा से लायेगे...!!!