सजने-सवरने की कहाँ उसे फुरसत होतीं है,
फिर भी माँ खुबसूरत होतीं हैं,-
अज़ब सा ख़ुमार है दुनिया
बस चाकू की धार है दुनिया
वैसे तो बहुत हैं यहाँ अपने
मगर मतलबी यार है दुनिया
टुकड़ो टुकड़ो में बांट देती है
कुछ ऐसी दीवार है दुनिया
भला किसी का ना होने देती
ऐसी ज़ेहनी बीमार है दुनिया
हर शय की हद महदूद यहाँ
बस वक़्ती करार है दुनिया
साजिद' समझ गया इसको
हाँ अंदर से ख़्वार है दुनिया-
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भर गए फ़िज़ूल दुनियादारी से, अब ख़ुद में कहीं खोना चाहते हैं,
बेहद परेशान इस झूठी हँसी से, अब जी भर के रोना चाहते हैं।।
कितनी रातें गुज़र गई नींद की राह देखते थक गई पलकें बेचारी,
और न जाग पाएँगी ये आँखें, अब हमेशा के लिए सोना चाहते हैं।।-
तुम दुनिया दारी निभाते रहे
अपने वादों को तुम भुलाते रहे
दुनिया से मैं क्या शिकायत करु
तुम ही मुझको रुलाते रहे....-
इंतजार अगर लंबा हो तो चलता है,
पर इंतजार सिर्फ,एकतरफा हो तो,,सिर्फ तकलीफ देता है..-
मैं दुनियां में हूं मगर उसका
नहीं हूं उसकी गलियों से,
गुज़रा हूं पर उसे देखा नहीं...
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--Kudrat ka khel--
Har din ki thakaan ko le, rooj raat chaddar odh katam hoti hai,
Ha yehi duniya ka khel jaha zindagi aur maut ki jang hoti hai......
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ज्ञान देती हैं दुनिया कि
इश्क़ बर्बाद कर देता है
कमाल है बावजूद इसके इश्क़ करती है दुनिया-
"जान " से "अंजान" तक का,
सफ़र तय किया है हमने ,
अपनी मोहब्बत को ,
बर्बाद होते खुद देखा है हमने ,
और लोग कहते हैं ,
हमने दुनियादारी नहीं देखी..!!!!
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