फूलों की ख़ुशबू ले जाती है मुझे उन बग़ीचों में जहां साथ मिलकर हमने बिताये थे कुछ पल,
बारिश की बूंदें याद दिलाती हैं उन पलों को जब साथ भीगे थे हम समंदर की लहरों में,
चिड़ियों की चहचहाहट कानों में पड़ते ही याद आते हैं वो तेरी मीठी आवाज़ के टूटे फूटे नग़मे,
हवा में उड़ते हुए मेरे बालों को आज भी जब तू सँवारता है,तो महसूस होता है,कुछ भी तो बदला नहीं इतने सालों में।
जो देखे थे साथ मिलकर हमने कुछ सपने
हाँ जी रहे हैं हम उन सपनों को एक साथ।।
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