जीवन लक्ष्य
काम, क्रोध, लोभ, मोह को त्याग बड़े चलो।
यह तुम्हारी बेड़ियाँ हैं - तोड़ इन्हें छोड़ चलो॥
विलाप, ख़ुशी, मोह लौकिक रंग संपूर्ण हैं।
बंधन तोड़ो, माया छोड़ो, तब जीवन पूर्ण है॥
पांच तत्वों से जन्मा, समय बंधा बढेगा।
काल साथ नश्वर शरीर तत्वों में लौटेगा॥
परमात्मा रूपी आत्मा, जन्म नहीं लेती।
एक शरीर त्यागते दूसरा ग्रहण करती॥
क्यों शरीर में खोये, कर्म पथ पर चलो।
निष्कर्म कर्म की मंज़िल ही अपनी रखो॥
न व शरीर तुम्हारा, न वह तत्त्व तुम्हारे।
शरीर बस मंदिर है जिसमें तुम विराजे॥
लौकिक मोह प्रेम छोड, चलो अपनो संग।
निष्कर्म कर्म प्रेम से, रमो परमात्मा रंग॥
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