मै शून्य पे सवार हूं
हां आज फ़िर एक हार हूं
जो हार को हूं मानता
मैं ख़ुद पे एक प्रहार हूं
एक रथ पे में सवार हूं
अमर अडिग अभिमान हूं
जो आज मै एक हार हूं
हां शून्य पे सवार हूं
रुका नहीं हूं मैं अभी
ना हार के थमा हूं मैं
अभी तो ये आरम्भ है
युद्ध की शुरुआत है... !
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