जब उनको पता चलता है की आप उनसे बेहतर हो तो वो छिछी थुथू करके, आपपे हंस के आपको रस्ते से हटा देते हैं, वो ये सुनीस्चीत करते हैं की आपको अपनी यौज्ञ्ता का एहसास ना हो, आपको आगे आके सिखने से तक रोकने की कोसिस करते हैं। तब वो आपपे और हंस के आपकी मनोदशा को और बिगार देते हैं । फिर वो आपके हरेक पतन का दर्शाक्दीर्घा में बैठ कर आनन्द लेते है और दुख की बात तो ये है की ऐसा करने वाला हमेशा कोई बेहद करीबी ही होता है।
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